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गुरुवार, 18 मार्च 2010

Youngest Women Vice-chancellor of Inida: Dr. Pankaj Mittal

जीवन मात्र जीने के लिये नहीं होता। इसका सही अर्थ तभी समझ में आता है जब कुछ ऐसा किया जाये, जिससे लाखों-करोड़ों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आये। शिक्षा एक ऐसा माध्यम है, जिससे यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। हरियाणा की ठेठ माटी पर सुदूर वीराने में आशा की एक किरण 'भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय' के रूप में जगमगा रही है। यहां लड़कियों को शिक्षा के जरिये उनके जीवन का असली उद्देश्य पूरा करने का मंच प्रदान करने में लगीं विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डॉ. पंकज मित्तल अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिये तन-मन से समर्पित हैं। 
लक्ष्य नहीं है इस जीवन का, श्रान्त भवन में टिके रहना।
किन्तु, पहुंचना उस मंजिल तक, जिसके आगे राह नहीं॥

सचमुच, ये पंक्तियां वर्तमान में संघर्षशील, सक्षम और सफलता की ओर तेजी से कदम बढ़ाती हुई डॉ. पंकज मित्तल पर पूर्णत: लागू होती हैं। जिन्होंने अपने आत्मविश्वास, सतत प्रयास और मेहनत से अपनी तकदीर ही नहीं बदली है, बल्कि एक आदर्श विश्वविद्यालय के रूप में लड़कियों को एक नायाब तोहफा दिया है, जो आने वाली पीढ़ी का भविष्य संवारता रहेगा। डॉ. पंकज मित्तल के लगन और मेहनत का प्रत्यक्ष गवाह 'भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय' आज उत्तर-भारत के पहले आधुनिक महिला विश्वविद्यालय के रूप में अपनी पहचान बना चुका है। इस विश्वविद्यालय के निर्माण एवं सतत विकास की कहानी डॉ. पंकज जी के कदम दर कदम आगे बढ़ते करियर की कहानी से अलग नहीं है। हरियाणा राज्य का पिछड़ा इलाका, जहां आज भी महिलाओं को घर की चौखट लांघने और अपनी आवाज़ उठाने की खुली आज़ादी तक नहीं मिल पाती है। ऐसे माहौल में डॉ. मित्तल जी न सिर्फ लड़कियों के बेहतर करियर और उनके व्यक्तित्व के विकास के लिए विश्वविद्यालय में उच्च गुणवत्ता एवं रोजगारोन्मुख शिक्षा की शुरुआत की, बल्कि पुरुषों के एकाधिकार को खत्म करने की प्रेरणा भी उनके अंदर पैदा की। 



11 दिसंबर, 1963 में दिल्ली के एक साधारण परिवार में पैदा हुईं डॉ.पंकज मित्तल, अपने माता-पिता के प्यार, स्नेह व आशीर्वाद, पति की प्रेरणा और स्वयं की अटूट लगन से आज उस मुकाम पर हैं, जिसकी मिसाल खासकर महिलाओं में बिरले ही देखने को मिलती है। डॉ. पंकज मित्तल कहती हैं कि "'सिम्पल फैमिली, पिता जी स्कूल टीचर, मां हाउस वाइफ और हम तीन भाई-बहन, दिल्ली में रहते थे। मेरी पढ़ाई-लिखाई में माता-पिता  का भरपूर योगदान रहा। 1988 में जब मेरी शादी हुई तो उस समय मेरी पढ़ाई पूरी नहीं हुई थी। शादी के बाद मेरे पति अनूप जी ने मुझे आगे बढ़ाया। उन्होंने पीएचडी के दौरान थिथिस में मेरी सहायता की। हर मोड़ पर उन्होंने मुझे प्रोत्साहित किया है। ईश्वर की कृपा है कि आज हम इस मुकाम पर हैं।"



बहुमुखी प्रतिभा की धनी डॉ. पंकज मित्तल अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से बीएससी(ऑनर्स), आईएआरआई, नई दिल्ली से सांख्यिकी में एमएससी और पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। ...और पीजी डिप्लोमा इन हायर एजुकेशन, इग्नू से पूरा किया। उच्च शिक्षा के बाद आपने सितंबर, 1987 में नेशनल बोर्ड ऑफ एक्जॉमिनेशन, नई दिल्ली में बतौर रिसर्च ऑफिसर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। मई, 1990 में यूजीसी, नई दिल्ली में शिक्षा अधिकारी के रूप में, अक्टूबर, 1994 में उप सचिव और जून 2001 में संयुक्त सचिव के पद पर रहकर अपने हुनर और काम के अंदाज़ से सबको आकर्षित किया। इसके बाद डॉ. पंकज मित्तल ने अपने करियर में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 
मई, 2008 में भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय में वाइस चांसलर के पद पर नियुक्ति हुई। जहां वह उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार एवं बेहतर सुझाव के साथ-साथ पॉलिसी प्लानिंग, रिसर्च, फाइनेंस एंड मैनेजमेंट आदि में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। डॉ. पंकज मित्तल के नेतृत्व में इस विश्वविद्यालय ने अपने स्थापना काल की गुरुकुल परंपरा को कायम रखते हुए आधुनिकता को भी अपनाया है। डॉ. मित्तल जी कहती हैं "1936 में भगत फूल सिंह जी द्वारा गुरुकुल शिक्षा के अंतर्गत सिर्फ तीन लड़कियों से यहां शिक्षा की शुरुआत हुई थी। ...और आज यहां लड़कियों की संख्या साढ़े पांच हजार हो गई है। यहां लड़कियों को बेहतर शिक्षा के साथ-साथ सक्षम बनाने के लिए कई वैकल्पिक करियर ओरिएंटेड कोर्स भी शुरू किये गये हैं। यहां हर स्टूडेंट्स केजी से लेकर पीजी एवं पीएचडी की उपाधि प्रदान कर सकता है। आगे वे कहती हैं इस विश्वविद्यालय में स्टूडेंट्स को रहने के लिए 14 हॉस्टल, 150 स्टाप क्वाटर््र एवं गेस्टहाउस, वातानुकूलित संकाय, लाइब्रेरी और व्यक्तित्व विकास के लिए योगाकेंद्र एवं लैंग्वेज लैब भी है।" 
"Empowering Women With Education " के मेनीफेस्टो पर विश्वविद्यालय के विकास कार्य और शिक्षा को बेहतर बनाये रखने के लिए डॉ. पंकज मित्तल ने अपने निर्देशन में कई समितियों का भी गठन किया है। जिनमें कोर्ट, एक्जीक्यूटिव काउंसिल, एकेडमिक काउंसिल, फाइनेंस कमेटी और ग्रेजुएट एवं पोस्टग्रेजुएट के लिए बोर्ड ऑफ स्टडीज आदि प्रमुख हैं। इनकी नेतृत्व क्षमता की कहानी यहीं समाप्त नहीं होती। एक साल के अंदर डॉ. पंकज मित्तल ने अपनी कार्यकुशलता से विश्वविद्यालय को विश्व पटल पर जो पहचान दी है, वह काफी सराहनीय है। शिक्षा-करियर के बीस साल के दौरान डॉ. मित्तल जी देश के विभिन्न प्रांतों और विदेशों में उच्च शिक्षा पर आयोजित कई सम्मेलनों में हिस्सा ले चुकी हैं। थाईलैंड, फिलीपीन्स, साऊथ अफ्रीका, मॉरीशस, हांगकांग और स्पेन आदि देशों में उच्च शिक्षा पर प्रस्तुत इनके दस्तावेज व सुझाव काफी प्रशंसनीय रहा हैं। इनके द्वारा उच्च शिक्षा की गुणवत्ता व सुधार के लिए दिये गये महत्वपूर्ण सुझाव व कार्यों पर विभिन्न समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में लेख भी प्रकाशित हो चुके हैं। 
शिक्षा के प्रति समर्पित डॉ. पंकज मित्तल वर्तमान में करियर के साथ-साथ कई उच्च संस्थानों एवं कमेटियों में बतौर सदस्य काम कर रही हैं। वे आज एक सफल प्रशासक, अच्छी पत्नी और ममतामयी मां के किरदार को शानदार ढंग से निभा रही हैं। अपने तमाम व्यस्त कार्यों के बावजूद काम और परिवार को पूरा समय देती हैं। वे कहती हैं कि ''जब मैं विश्वविद्यालय में आती हूं तो घर की बातें-यादें घर पर ही छोड़ देती हूं और जब मैं परिवार के साथ होती हूं तो विश्वविद्यालय को भूल जाती हूं।" 
 यंग वुमेन के रूप में वाइस चांसलर के पद पर काम करना डॉ. मित्तल जी के लिए किसी महत्वपूर्ण उपलब्धि से कम नहीं है। वे कहती हैं कि ''एक नयी यूनिवर्सिटी के लिए हायर एजुकेशन की पॉलिसी प्लानिंग करना और उसे ग्रासरूट लेबल पर इंप्लिमेन्ट करना, किसी चुनौती और उपलब्धि से कम नहीं है।" 
 कड़ी मेहनत और निर्धारित लक्ष्य को सफलता की कुंजी मानने वाली डॉ. पंकज मित्तल का कहना है कि ''अगर इंसान अपना लक्ष्य तय करके कड़ी मेहनत करें तो उसे आगे बढऩे से कोई नहीं रोक सकता।" 
निश्चय ही डॉ. पंकज मित्तल के इस जज्बे और उपलब्धि से उन सभी स्टूडेंट्स को प्ररेणा 
मिलेगी, जो शिक्षा को माध्यम बनाकर जीवन की ऊंचाइयों को छूने का हौसला रखते हैं।





व्यक्तिगत परिचय
जन्म : 11 दिसंबर, 1963 (दिल्ली)
पति : अनूप मित्तल (DEAN, KIIT UNIVERSITY) 
माता : श्रीमती शकुंतला गर्ग
पिता : श्री रमेश चंद्र गर्ग






























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